भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन

भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन मे सन 1905 से 1946 तक हुए आंदोलन जिसमें ( बंगाल विभाजन, रौलट एक्ट, जलियावाला बाग हत्याकाँड, खिलापत आंदोलन, असहयोग आंदोलन, साइमन कमीशन वापिस जाओ, पूर्ण स्वराज्य की मांग, सांडर्स की हत्या, भारत छोड़ो आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन और कैबिनेट मिशन ) के बारे मे बताया गया है –

भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन :-

1. बंगाल विभाजन

लार्ड कर्जन ने 20 जुलाई 1905 ईस्वी को बंगाल-विभाजन के निर्णय की घोषणा की। लेकिन इसके विरोध में 7 अगस्त 1905 ईस्वी को कलकत्ता के टाउन हल में स्वदेशी आंदोलन की घोषणा की गयी और यह विभाजन 16 अक्टूबर 1905 ईस्वी को प्रभावी हुआ।  इस दिन पुरे बंगाल में शोक दिवस मनाया गया।  

2. रौलेट एक्ट

रौलेट एक्ट को 19 मार्च 1919 को लागु किया गया इसके अनुसार किसी भी संदेहास्पद व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाये गिरफ्तार किया जा सकता था, परन्तु उसके विरुद्ध न कोई अपील, न कोई दलील और न कोई वकील किया जा सकता था। गाँधी जी ने इस कानून के विरुद्ध 6 अप्रैल 1919 ईस्वी को देशव्यापी हड़ताल करवायी।

3. जालियाँवाला बाग हत्याकांड

अमृतसर में जालियाँवाला बाग हत्याकांड 13 अप्रैल 1919 ईस्वी को हुआ। सतपाल और सैफुद्दीन किचलू की गिरफ्तारी के विरोध में हो रही जनसभा पर जनरल डायर ने अंधाधुंध गोलियाँ चलवायी।  सरकारी रिपोर्ट के अनुसार इसमें 379 व्यक्ति एवं कांग्रेस समिति के अनुसार लगभग 1000 व्यक्ति मारे गए थे। जालियाँवाला बाग हत्याकांड में हंसराज नामक भारतीय ने डायर का सहयोग किया था। 
  1. जालियाँवाला बाग हत्याकांड के विरोध में महात्मा गाँधी ने ‘कैसर-ए-हिन्द’ की उपाधि, जमनालाल बजाज ने ‘राय बहादुर’ की उपाधि एवं रविंद्र नाथ टैगोर ने ‘सर’ की उपाधि वापस लौटा दी।
  2. जालियाँवाला बाग हत्याकांड की जाँच के लिए सर्कार ने 19 अक्टूबर 1919 ईस्वी में लार्ड हंटर की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया।
  3. कांग्रेस ने जालियाँवाला बाग हत्याकांड की जाँच के लिए मदन मोहन मालवीय के नेतृत्व में एक आयोग नियुक्त किया।  इसके अन्य सदस्यों में मोतीलाल नेहरू और गांधीजी थे।
  4. जालियाँवाला बाग कभी जल्ली नामक व्यक्ति की सम्पति थी।  

4. खिलाफत आंदोलन

खिलाफत आंदोलन भारतीय मुसलमानो का मित्र राष्ट्र के विरुद्ध विशेषकर ब्रिटेन के खिलाफ टर्की के खलीफा के समर्थन में आंदोलन था। 19 अक्टूबर 1919 ईस्वी को पुरे देश में ‘खिलाफत दिवस’ मनाया गया। 

5. असहयोग आंदोलन

रौलेट एक्ट, जालियाँवाला बाग हत्याकांड और खिलाफत आंदोलन के उतर में गांधीजी ने 1 अगस्त 1920 ईस्वी को असहयोग आंदोलन प्रारंभ किया। 5 फरवरी 1922 ईस्वी को गोरखपुर जिले के चौरी-चौरा नामक स्थान पर असहयोग आंदोलनकारियो ने क्रोध में आकर थाने में आग लगा दी जिससे एक थानेदार सहित 22 सिपाहियों की मृत्यु हो गयी। इस घटना से दुखी होकर गाँधी जी ने 11 फरवरी 1922 ईस्वी को सहयोग आंदोलन स्थगित कर दिया। 13 मार्च 1922 ईस्वी में गाँधी जी को गिरफ्तार कर 6 वर्ष की कड़ी सजा सुनाई गई लेकिन गाँधी जी की तबियत नाजुक होने के कारण 5 फरवरी 1924 को रिहा कर दिया गया। 
भारत में साइमन कमीशन, पूर्ण स्वराज और सविनय अवज्ञा आंदोलन
गाँधी जी और उनके सहयोगी

6. साइमन कमीशन

साइमन कमीशन भारत 3 फरवरी 1928 ईस्वी को आया। साइमन कमीशन को वाइट मैन कमीशन नाम से भी जाना जाता है।  30 अक्टूबर 1928 ईस्वी को लाहौर में साइमन आयोग के विरुद्ध प्रदर्शन करते समय पुलिस की लाठी से लाला लाजपतराय घायल हो गए और बाद में उनकी मृत्यु हो गयी।

7. सांडर्स की हत्या

भगत सिंह के नेतृत्व में पंजाब के क्रांतिकारियों ने 17 दिसम्बर 1928 ईस्वी को लाहौर के पुलिस कप्तान सांडर्स को गोली मार दी। पब्लिक सेफ्टी बिल पास होने के विरोध में 8 अप्रैल 1929 ईस्वी को बटुकेशवर दत्त एवं भगत सिंह ने दिल्ली में सेंट्रल लेजिस्लेटिव असम्बली में खाली बेंचो पर बम फेका।

8. पूर्ण स्वराज की मांग

कांग्रेस के 1929 ईस्वी के लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज का अपना लक्ष्य घोषित किया था।  इस अधिवेशन की अध्यक्षता जवाहर लाल नेहरू कर रहे थे।  31 दिसम्बर 1929 की रात के 12 बजे जवाहरलाल नेहरू ने रावी नदी के तट  पर तिरंगे झंडे को फहराया। इसी अधिवेशन में 26 जनवरी 1930 ईस्वी को प्रथम स्वाधीनता दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया।  इसी के साथ प्रत्येक वर्ष 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने की परम्परा शुरू हुई।

9. सविनय अविज्ञा आंदोलन

12 मार्च 1930 ईस्वी को गांधीजी ने अपने 79 समर्थकों के साथ साबरमती स्थित अपने आश्रम से 322 किलोमीटर दूर डाण्डी के लिए प्रस्थान किया।  लगभग 24 दिनों के बाद 6 अप्रैल 1930 ईस्वी को डाण्डी पहुंचकर नमक कानून तोडा और सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की। 4 मार्च 1931 ईस्वी को गाँधी इरविन पैक्ट हुआ।  इसके बाद गाँधी जी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन स्थगित कर दिया। दूसरा गोलमेज सम्मेलन 7 सितम्बर 1931 ईस्वी को हुआ जिसमे गांधीजी ने असफलता दिखाई दी।  इसलिए 3 जनवरी 1932 ईस्वी को पुनः सविनय अवज्ञा आंदोलन सुरु कर दिया। अंत में सविनय अवज्ञा आंदोलन 7 अप्रैल 1934 ईस्वी को वापिस लिया गया। 

10. भारत छोड़ो आंदोलन

गाँधी जी के भारत छोड़ो प्रस्ताव को कांग्रेस कार्यसमिति ने 8 अगस्त 1942 ईस्वी को स्वीकार कर लिया। भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत 9 अगस्त 1942 ईस्वी में हुई। इसी आंदोलन में गाँधी जी ने ‘करो या मरो’ का नारा भी दिया। 9 अगस्त 1942 ईस्वी की सुबह को गाँधी और कांग्रेस के सभी महत्वपूर्ण नेता को गिरफ्तार कर लिया गया गाँधी जी को पूना में और नेता लोगो को दुर्ग में रखा गया। 9 मई 1944 ईस्वी को गाँधी जी को जेल से छोड़ दिया गया।

11. कैबिनेट मिशन – 1946

प्रधानमंत्री एटली ने 15 फरवरी 1946 ईस्वी को भारतीय सविधान सभा की स्थापना एवं तत्कालीन जवलंत समस्याओ पर भारतीयों से विचार विमर्श के लिए कैबिनेट मिशन को भारत भेजने की घोषणा की। 24 मार्च 1946 ईस्वी को कैबिनेट मिशन दिल्ली पहुंचा। कैबिनेट मिशन योजना को मुस्लिम लिंग ने 6 जून 1946 ईस्वी को और कांग्रेस ने 25 जून 1946 ईस्वी में स्वीकार किया।

कुछ महत्वपूर्ण बातें :-

  1. गाँधी जी को सबसे पहले किसने महात्मा कहा – रवीन्द्रनाथ टैगोर ने
  2. गाँधी जी को सर्वप्रथम राष्ट्रपिता किसने कहा – सुभाष चंद्र बोस
  3. वल्लभ भाई पटेल को किसने सरदार की उपाधि दी – वारदोली सत्याग्रह की सफलता के बाद वहा की महिलाओं द्वारा
  4. सुभाष चंद्र बोस को सर्वप्रथम नेताजी किसने कहा – एडोल्फ हिटलर ने
  5. गोखले के आध्यात्मिक एवं राजनितिक गुरु – एम. जी. रानाडे
  6. महात्मा गाँधी के राजनितिक गुरु – गोपाल कृष्ण गोखले
  7. सुभाष चंद्र बोस के राजनितिक गुरु – देशबंधु चितरंजन दास
  8. बिना ताज का बादशाह – सुरेन्द्रनाथ बनर्जी
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