ऊष्मा किसे कहते हैं, मात्रक और ताप मापन

ऊष्मा किसे कहते हैं, ऊष्मा का मात्रक क्या है, ऊष्मा के संचरण की तीनों विधिया के साथ गूगल से पूछे जाने वाले ऊष्मा संबन्धित प्रश्न उत्तर इसमे बताए गए है –

ऊष्मा किसे कहते हैं

ऊष्मा किसे कहते हैं –

ऊष्मा वह ऊर्जा है जो एक वस्तु से दूसरी वस्तु में केवल तापान्तर के कारण स्थानांतरित होती है। किसी वस्तु में निहित ऊष्मा उस वस्तु के द्रव्यमान पर निर्भर करती है। तो चलिए सुरु करते है –

यदि कार्य W ऊष्मा Q में बदलता है तो W/Q = j या W = jQ जहाँ, j एक नियतांक है, जिसे ऊष्मा का यांत्रिक तुल्यांक (Mechanical Equivalent of Heat) कहते है। j का मान 4.186 जूल/कैलोरी होता है। अर्थात् यदि 4.186 जूल का यांत्रिक कार्य किया जाये तो उत्पन्न ऊष्मा की मात्रा 1 कैलोरी होगी।

ऊष्मा का मात्रक :

ऊष्मा का S.I. मात्रक जूल है इसके लिए निम्न मात्रक का प्रयोग भी किया जाता है –

  1. कैलोरी : एक ग्राम जल का ताप 1 डिग्री C बढ़ाने  आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को कैलोरी कहते है।
  2. अंतर्राष्ट्रीय कैलोरी : 1 ग्राम शुद्ध जल का ताप 14.5 डिग्री C से 15.5 डिग्री C तक बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को 1 कैलोरी कहा जाता है।
  3. ब्रिटिश थर्मल यूनिट : एक पौंड जल का ताप 1 डिग्री F बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को 1 ब्रिटिश थर्मल यूनिट (1 B. Th. U.) कहा जाता है।

ताप (Temperature)

ताप वह भौतिक करक है, जो एक वस्तु से दूसरी वस्तु में उष्मीय ऊर्जा के परवाह की दिशा निश्चित करता है। अर्थात् जिस कारण से ऊर्जा स्थानांतरण होती है, उसे ताप कहते है।

ताप मापन (Measurement of Temperature)

तापमापी – ताप मापने के लिए जो उपकरण प्रयोग में लाया जाता है, उसे तापमापी कहते है।
निम्न प्रकार के ताप पैमाने प्रचलित है –

  1. सेल्सियस पैमाना – इस पैमाने का आविष्कार स्वीडेन के वैज्ञानिक सेल्सियस ने किया था। इस पैमाने में हिमांक को 0 डिग्री C व भाप-बिंदु को 100 डिग्री C अंकित किया जाता है तथा इनके बीच की दुरी को 100 बराबर भागों में बाँट देते है।  प्रत्येक भाग को 1 डिग्री C कहते है।
  2. फारेनहाइट पैमाना – इसका अविष्कार जर्मन वैज्ञानिक फारेनहाइट ने किया।  इसका हिमांक 32 डिग्री F एवं भाप-बिंदु 212 डिग्री F है। इनके बीच की दूरी को 180 बराबर भागों में बांटा गया है।
  3. रोमर पैमाना – इसका हिमांक 0 डिग्री R एवं भाप-बिंदु 80 डिग्री R है। इनके बीच का भाग 80 बराबर भागों में बाँटा गया है।
  4. केल्विन पैमाना – इसमें हिमांक 273 K एवं भाप-बिंदु 373 K है।  इन दोनों बिंदुओं के बीच की दूरी को समान 100 भागों में विभाजित कर दिया जाता है।

चारों पैमानों में संबंध 

(C – 0) / 100 = (F – 32) / 180 = (R – 0) / 80 = (K – 273) / 100 

  • परम शून्य (Absolute Zero) : सिद्धांत रुप से अधिकतम ताप की कोई सीमा नहीं है, परन्तु निम्नतम ताप की सीमा है। किसी भी वस्तु का ताप – 273.15 डिग्री C से कम नहीं हो सकता है। इसे ही परम शून्य ताप कहते है। केल्विन पैमाने पर 0 K लिखते है। अर्थात् 0K = – 273.15 डिग्री C एवं – 273.16K = 0 डिग्री C
  • पहले सेल्सियस पैमाने को डेन्टीग्रेड पैमाना कहा जाता था।
  • केल्विन में व्यक्त ताप में डिग्री नहीं लिखा जाता है

पारा
पारा थर्मामीटर का आविष्कार फारेनहाइट ने किया। यह 39 डिग्री C पर जमता है, अतः इससे निम्न ताप ज्ञात करने के लिए अल्कोहल तापमापी का प्रयोग किया जाता है। अल्कोहल  – 115 डिग्री C पर जमता है।

क्षमता के आधार पर तापमापी –

  1. द्रव्य तापमापी : पारा तापमापी लगभग -30 डिग्री C से 350 डिग्री Cतक के ताप मापने के लिए प्रयुक्त होता है।
  2. गैस तापमापी : इस प्रकार के तापमापियों में स्थिर आयतन हाइड्रोजन गैस तापमापी से 500 डिग्री C तक के ताप को मापा जा सकता है।  हाइड्रोजन की जगह नाइट्रोजन गैस लेने पर 1500 डिग्री C तक के ताप का मापन किया जा सकता है।
  3. प्लेटनिम प्रतिरोध तापमापी : इसके द्वारा -200 डिग्री C से 1200 डिग्री C तक के ताप को मापा जाता है।
  4. तापयुग्म तापमापी : इसका उपयोग  -200 डिग्री C से 1600 डिग्री C तक के ताप को मापने  किया जाता है।
  5. पूर्ण विकिरण उत्तापमापी (Total Radiation Pyrometer) : इस तापमापी से दूर स्थित वस्तु  मापा जाता है, जैसे सूर्य का ताप। इसके द्वारा प्रायः 800 डिग्री C से ऊँचे ताप ही मापा जाता है, इससे नीचे ताप नहीं; क्योंकि इससे काम ताप की वस्तुएँ उष्मीय विकिरण उत्त्सर्जित नहीं करती है।  यह तापमापी स्टीफेन के नियम पर आधारित है, जिसके अनुसार उंच्च ताप पर किसी वस्तु से उत्त्सर्जित  विकिरण की मात्रा इसके परमताप के चतुर्थ घात के अनुक्रमानुपाती होती है।

विशिष्ट ऊष्मा (Specific Heat) किसी पदार्थ की विशिष्ट ऊष्मा, ऊष्मा की वह मात्रा है, जो उस पदार्थ के एकांक द्रव्यमान में एकांक ताप-वृद्धि उत्त्पन्न करती है। इसे प्रायः C द्वारा व्यक्त किया जाता है। विशिष्ट ऊष्मा का S.I. मात्रक जूल / kg K होता है।  

ऊष्मा की पूरी जानकारी

उष्मीय प्रसार (Thermal Expansion) किसी वस्तु को गर्म करने पर उसकी लम्बाई, क्षेत्रफल एवं आयतन में वृद्धि होती है। लम्बाई में वृद्धि की माप रखी प्रसार गुणांक ( अल्फ़ा ), क्षेत्रफल में वृद्धि को आयतन प्रसार गुणांक (गामा ) द्वारा व्यक्त किया जाता है। अल्फ़ा,बीटा,गामा में संबंध अल्फ़ा : बीटा : गामा :: 1 : 2 : 3
जल का असामान्य प्रसार
प्रायः सभी द्रव गरम करने पर आयतन में बढ़ते है, परन्तु जल 0 डिग्री C से 4 डिग्री C तक ग्राम करने पर आयतन में घटता है तथा 4 डिग्री C के बाद गर्म करने पर आयतन में बढ़ना शुरु कर बढ़ना शुरु कर देता है। इसका अर्थ यह है कि 4 डिग्री C पर जल का घनत्व अधिकतम होता है।

ऊष्मा का संचरण :-

ऊष्मा का एक स्थान से दूसरे स्थान जाने को ऊष्मा का संचरण कहते है। इसकी तीन विधियाँ हैं –

  1. चालन
  2. संवहन
  3. विकिरण

चालन (Conduction) – चालन के द्वारा ऊष्मा पदार्थ में एक स्थान से दूसरे स्थान तक, पदार्थ के कणों को अपने स्थान का परिवर्तन किये बिना पहुँचती है। ठोस में ऊष्मा का संचरण चालन विधि द्वारा ही होता है। संवहन (Convection) – इस विधि में ऊष्मा का संचरण पदार्थ के कणों के स्थानांतरण के द्वारा होता है। इस प्रकार पदार्थ के कणों के स्थानांतरण से धाराएँ बहती है, जिन्हें संवहन कहते है। वायुमंडल संवहन विधि द्वारा ही गरम होता है।   विकिरण (Radiation) – इस विधि में ऊष्मा, ग्राम वस्तु से ठंडी वस्तु की ओर बिना किसी माध्यम की सहायता के तथा बिना माध्यम को गरम किये प्रकाश की चाल से सीधी रेखा में संचरित होती है।

अवस्था परिवर्तन

  1. निश्चित ताप पर पदार्थ का एक अवस्था से दूसरी अवस्था में परिवर्तित होना अवस्था परिवर्तन कहलाता है। अवस्था में पदार्थ का ताप नहीं बदलता है।
  2. वह बिंदु जिस पर तीनों अवस्थाएँ ठोस, तरल एवं गैस तीनों एक साथ पायी जाती है, उसे त्रिक बिंदु कहते है।
  3. निश्चित ताप पर ठोस का द्रव में बदलना गलन कहलाता है तथा इस निश्चित ताप को ठोस का गलनांक कहते है।
  4. निश्चित ताप पर द्रव का ठोस में बदलना हिमीकरण कहलाता है तथा इस निश्चित ताप को द्रव का हिमांक कहते है।
  5. प्रायः गलनांक एवं हिमांक बराबर होते है।
  6. जो पदार्थ ठोस से द्रव में बदलने पर सिकुड़ते है (जैसे – बर्फ) उनका गलनांक दाब बढ़ाने पर घटता है, तथा जो पदार्थ ठोस से द्रव में बदलने पर फैलते है, उनका गलनांक दाब बढ़ाने पर बढ़ता है।
  7. अशुद्धि मिलाने से (जैसे बर्फ में नमक मिलाने से) गलनांक घटता है।
  8. निश्चित ताप पर द्रव का वाष्प में बदलन वाष्पन कहलाता है तथा इस निश्चित ताप को द्रव का क्वथनांक कहते है।
  9. निश्चित ताप पर वाष्प का द्रव में बदलना संघनन कहलाता है।
  10. प्रायः क्वथनांक एवं संघनन ताप समान होता है।
  11. दाब बढ़ाने पर क्वथनांक बढ़ता है।
  12. अशुद्धि मिलाने पर भी द्रव का क्वथनांक बढ़ता है।

गुप्त ऊष्मा –

गुप्त ऊष्मा (Latent Heat) नियत ताप पर पदार्थ की अवस्था में परिवर्तन के लिए ऊष्मा की आवश्यकता होती है इसे ही पदार्थ की गुप्त ऊष्मा कहते है।

  1. गलन की गुप्त ऊष्मा – नियत ताप पर ठोस के एकांक द्रव्यमान को द्रव में बदलने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को ठोस की गलन की गुप्त ऊष्मा कहते है। बर्फ के लिए गलन की गुप्त ऊष्मा का मान 80 कैलोरी / ग्राम है।
  2. वाष्पन की गुप्त ऊष्मा – नियत ताप पर द्रव के एकांक द्रव्यमान को वाष्प में बदलने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को द्रव की वाष्पन की गुप्त ऊष्मा कहते है। जल के लिए वाष्पन के गुप्त ऊष्मा का मान 540 कैलोरी / ग्राम है।

वाष्पीकरण (Evaporation)

वाष्पीकरण (Evaporation) द्रव के खुली सतह से प्रत्येक ताप पर धीरे-धीरे द्रव का अपने आप वाष्प में बदलना वाष्पीकरण कहलाता है। प्रशीतक (Refrigerator) प्रशीतक में वाष्पीकरण द्वारा ठंडक उत्पन्न की जाती है। ताम्बे की एक वाष्प कुंडली में द्रव फ्रीऑन भरा रहता है , जो वाष्पीकृत होकर ठंडक उत्पन्न करता है। वातानुकूलन (Air-Conditioning) सामान्यतः मनुष्य के स्वास्थ्य व अनुकूल जलवायु के लिए निम्न परिस्थितियाँ होनी चाहिए –

  1. ताप – 23 डिग्री C से 25 डिग्री C
  2. आपेक्षित आद्रता 60 % से 65 % के बीच
  3. वायु की गति – 0.75 मीटर/मिनट से 2.5 मीटर/मिनट तक

गूगल से पूछे जाने वाले ऊष्मा संबन्धित प्रश्न उत्तर :

Q1. ऊष्मा कितने प्रकार के होते हैं?

उत्तर – चालन, संवहन, विकिरण

Q2. ऊष्मा की मात्रा मापने का सूत्र क्या है?

उत्तर – जूल

Q3. भौतिक राशि का एस आई मात्रक 

उत्तर – जूल प्रति केल्विन

Q4. ऊष्मा का Cgs मात्रक क्या है

उत्तर – जूल

Q5. ऊष्मा कौन सी राशि है?

उत्तर – अदिश 

Q6. ऊष्मा किसका रूप है?

उत्तर – ऊर्जा का

Q7. ऊष्मा की सबसे अच्छी चालक कौन सी है?

उत्तर – सिल्वर तथा कॉपर

Q8. ऊष्मा के स्रोत क्या हैं?

उत्तर – प्राकृतिक गैस, प्रोपेन (एलपी), तेल, कोयला, लकड़ी, बिजली, हीट पंप, ग्राउंड सोर्स हीट पंप और सौर ऊर्जा

Q9. ऊष्मीय ऊर्जा का मात्रक क्या है?

उत्तर – जूल (Joule)

Q10. ऊष्मा के कुचालक को क्या कहते हैं?

उत्तर – थर्मल इन्सुलेटर

Q11. लकड़ी ऊष्मा का क्या है?

उत्तर – कुचालक

Q12. ऊष्मा का CGS मात्रक है

उत्तर – जूल

Q13. पृथ्वी को प्राप्त ऊष्मा को क्या कहते हैं?

उत्तर – आपतन 

Q14. पानी ऊष्मा का  है।

उत्तर – सुचालक

Q15. सोना ऊष्मा का क्या है? 

उत्तर – सुचालक

Q16. सिल्वर तथा कॉपर ऊष्मा के सबसे अच्छे चालक हैं। इनकी तुलना में लेड तथा मर्करी ऊष्मा के हैं।

उत्तर – कुचालक

Q17. कौन सी धातु सबसे तेज गर्म होती है?

उत्तर – एल्युमीनियम ने सबसे तेज गर्मी का संचालन किया; स्टील सबसे धीमा दिखाई दिया।

Q18. ऊष्मा का सबसे अच्छा संवाहक क्या होता है?

उत्तर – पारा

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