ग्रह से संबंधित विवरण

सौर मंडल मे 8 ग्रह से संबंधित विवरण के साथ साथ, सूर्य और सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने वाले विभिन्न ग्रहों, क्षुद्रग्रहों, धूमकेतुओं, उल्काओं तथा अन्य आकाशीय पिंडो के बारे मे भी अच्छी तरह से बताया गया है –

ग्रह से संबंधित विवरण

सौरमंडल में सूर्य का प्रभुत्व है क्योंकि सौरमंडल निकाय के द्रव का लगभग 99.999 द्रव सूर्य में निहित है। सौरमंडल के समस्त ऊर्जा का स्त्रोत भी सूर्य ही है।

सूर्य (Sun) :

  1. सूर्य एक गैसीय गोला है जिसमे हाइड्रोजन 71% ,हीलियम 26.5% , एवं अन्य 2.5% पाया जाता है।
  2. सूर्य सौरमंडल का प्रधान है यह हमारी मंदाकिनी दुग्धमेखला के केंद्र से 30 हजार प्रकाश वर्ष की दुरी पर स्थित है।
  3. सूर्य अपने अक्ष पर पूर्व से पश्चिम की और घूमता है।
  4. यह हमारी मंदाकिनी दुग्धमेखला के चारों और 250 किलोमीटर प्रति सैकंड की चाल परिक्रमा कर रहा है और इसका परिक्रमण काल 25 करोड़ वर्ष है जिसे ब्रह्माण्ड वर्ष कहते है।
  5. सूर्य के केंद्रीय भाग क्रोड का तापमान 1.5 * 10^7 डिग्री सैल्सियस तथा बाहरी सतह का तापमान 6000 डिग्री सैल्सियस होता है।
  6. हेंस बेथ ने बताया कि सूर्य के केंद्र पर तापमान 10^7 डिग्री सेल्सियस पर 4 हाइड्रोजन मिलकर 1 हीलियम नाभिक का निर्माण करते है। अर्थात सूर्य के केंद्र पर नाभकीय सलयन होता है जो सूर्य की ऊर्जा का स्त्रोत है।
  7. सूर्य-ग्रहण के समय दिखाई देने वाले भाग को सूर्य-किरीट कहते है यह x-rays उत्सर्जित करता है इसे सूर्य का मुकुट भी कहा जाता है। पूर्ण सूर्य ग्रहण के समय सूर्य किरीट से प्रकाश की प्राप्ति होती है।
  8. सूर्य के दीप्तिमान सतह को प्रकाशमण्डल कहते है इसके किनारे प्रकासमान नहीं होते क्योंकि सूर्य का वायुमंडल प्रकाश का अवशोषण कर लेता है। इसे वर्णमण्डल भी कहते है। यह लाल रंग का होता है।
  9. सूर्य की उम्र 5 बिलियन वर्ष है और भविष्य में ऊर्जा देते रहने का समय 10^11 वर्ष है।
  10. सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक पहुंचने में 8 मिनट 16.6 सैकंड का समय लगता है।
  11. सूर्य का व्यास 13 लाख 92 हजार किलोमीटर है। जो पृथ्वी के व्यास का 110 गुना है।
  12. सूर्य हमारी पृथ्वी से 13 लाख गुणा बड़ा है और पृथ्वी को सूर्यताप का 2 अरबवां भाग मिलता है।
  13. सौर ज्वाला को उत्तरी ध्रुव पर औरोरा बोरियालिस और दक्षिण ध्रुव पर औरोरा औस्ट्रेलिस कहते है।
  14. सूर्य के धब्बे का तापमान आसपास के तापमान से 1500 डिग्री सेल्सियस कम होता है। इन धब्बो का एक चक्र 22 वर्षो में पूरा होता है जिनमें पहले 11 वर्षो तक यह धब्बा बढ़ता है और फिर यह घटता है। जब सूर्य की सतह पर धब्बा दिखाई देता है उस समय पृथ्वी पर चुंबकीय झंझावात उत्पन होते है। इसमें चुंबकीय सुई की दिशा बदल जाती है एवं रेडियो, टेलीविजन और बिजली चालित उपकरणों में गड़बड़ी उत्प्पन हो जाती है।
  • आखिर कौन है ब्रह्माण्ड का केंद्र ?
प्रारंभ में पृथ्वी को सम्पूर्ण ब्रहांड का केंद्र माना जाता था जिसकी परिक्रमा सभी आकाशीय पिंड विभिन्न कक्षाओ
में करते है। इसे भू-केंद्रीय सिद्धांत कहा गया इसका प्रतिपादन मिस्र-यूनानी खगोलशास्त्री क्लाडियस टॉमली ने 140 ईस्वी में किया।
इसके बाद निकोलस कापरनिकस (1473 – 1543) ईस्वी ने यह दर्शाया की सूर्य ब्रह्माण्ड के केंद्र पर है तथा ग्रह इसकी परिक्रमा करते है अतः सूर्य ब्रह्माण्ड का केंद्र बन गया।
16 वी शताब्दी में टायकोब्रेह के सहायक जोहानेस कैप्लर (1571 – 1630) ने ग्रहीय कक्षाओं के नियमों की खोज की परन्तु इसमें भी सूर्य को ब्रमांड का केंद्र माना गया

20वी शताब्दी के आरम्भ में जाकर हमारी मंदाकिनी की दुग्धमेखला के तस्वीर साफ़ हुई और इससे सूर्य को ब्रमाण्ड का केंद्र होने का गौरव समाप्त कर दिया।

सौरमंडल के पिंड :

अंतर्राष्ट्रीय खगोलशस्त्री संघ International Astronomical Union – IAU
IAU की प्राग सम्मेलन 2006 के अनुसार सौरमंडल में मौजूद पिंडो को निम्नलिखित तीन श्रेणियों में बांटा गया है-

  1. परम्परागत ग्रह : बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, अरुण एवं वरुण।
  2. बौने ग्रह : प्लूटो, चेरान, सेरस, 2003 यूबी 313
  3. लघु सौरमंडलीय पिंड : धूमकेतु, उपग्रह एवं अन्य छोटे खगोलीय पिंड।
  • ग्रह किसे कहते है ?

IAU प्राग सम्मेलन के अनुसार वे खगोलीय पिंड है जो निम्न 3 शर्तो को पूरा करते हो, ग्रह कहलाते है।

  1. जो सूर्य के चारों और परिक्रमा करता हो।
  2. उसमें पर्याप्त गुरुत्वाकर्षण बल हो जिससे वह गोल स्वरुप ग्रहण कर सके।
  3. आस पास का क्षेत्र साफ़ हो अर्थात् उसके आस पास खगोलीय पिंडो की भीड़-भाड़ न हो।
IAU प्राग सम्मेलन (अगस्त 2006) ईस्वी में तय की गई ग्रहों की परिभाषा के आधार पर प्लूटो यानि यम को ग्रहों की श्रेणी से बाहर निकाल दिया गया जिसके कारण परम्परागत ग्रहों की संख्या 9 से 8 रह गई।
ग्रहों को दो भागों में विभाजित किया गया है –
  1. पार्थिव या आंतरिक ग्रह – बुध, शुक्र, पृथ्वी एवं मंगल।
  2. बृहस्पति या बाह्य ग्रह – बृहस्पति, शनि, अरुण व वरुण।
परम्परागत ग्रह
परम्परागत ग्रह

ग्रहों से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य :-

जैसा कि आप जानते है कि ग्रह दो प्रकार की गतियाँ करते है – परिक्रमण अर्थात् सूर्य के चारों और चक्र लगाना और परिभ्रमण अर्थात् अपने अक्ष पर घूमना।
  1. आकार के अनुसार ग्रहों का क्रम – बृहस्पति (सबसे बड़ा), शनि, अरुण, वरुण, पृथ्वी, शुक्र, मगल एवं बुध (सबसे छोटा)
  2. सूर्य से दुरी के अनुसार – बुध (सबसे निकट), शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, अरुण एवं वरुण (सबसे दूर )
  3. परिक्रमण वेग speed – बुध (सबसे अधिक), शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, अरुण एवं वरुण (सबसे कम)
  4. परिभ्रमण वेग – बृहस्पति (सबसे कम), शनि, अरुण, वरुण, पृथ्वी, मंगल, बुध और शुक्र (सबसे ज्यादा)
  5. घनत्व के अनुसार – शनि (सबसे कम), अरुण, बृहस्पति, वरुण, मंगल एवं शुक्र।
  6. द्रवमान के अनुसार – बुध (सबसे कम), मंगल, शुक्र, पृथ्वी, अरुण, वरुण, शनि एवं बृहस्पति (सबसे अधिक)
  7. अपने अक्ष पर झुकाव के आधार पर ग्रहों का क्रम (बढ़ते क्रम में) – शुक्र, बृहस्पति, बुध, पृथ्वी, मंगल, शनि, अरुण एवं वरुण।

ग्रह से संबंधित विवरण :-

1) बुध (Mercury) :

  1. यह सूर्य के सबसे नजदीक ग्रह है जो सूर्य निकलने के दो घंटा पहले दिखाई देता है।
  2. सबसे छोटा ग्रह है जिसके पास कोई भी उपग्रह नहीं है।
  3. चुंबकीय क्षेत्र का होना इसका विशिष्ट गुण है।
  4. सूर्य की परिक्रमा सबसे जल्दी पूरी करता है।
  5. इस ग्रह पर राते अधिक बर्फीली (-173 डिग्री C ) और दिन (427 डिग्री C ) होता है।

2) शुक्र (Venus) :

  1. यह पृथ्वी के सबसे निकट ग्रह है।
  2. इसका कोई भी उपग्रह नहीं है।
  3. इसे शाम का तारा या भोर का तारा कहा जाता है।
  4. यह दक्षिणावर्त (पूर्व से पश्चिम) की ओर गति करता है।
  5. यह घनत्व, आकार एवं व्यास में पृथ्वी के समान है इसलिए इस ग्रह को पृथ्वी का भगिनी ग्रह भी कहते है।

3) पृथ्वी (Earth) :

  1. यह आकार की दृष्टि से पांचवा सबसे बड़ा ग्रह है
  2. यह एकमात्र ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन संभव है। इसका एकमात्र उपग्रह चंद्रमा है।
  3. यह अपने अक्ष पर 23.5 डिग्री झुकी हुई है जिसके कारण ऋतु परिवर्तन होता है।
  4. यह अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व 1610 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से 23 घंटे 56 मिनट और 4 सेकंड में अपना एक पूरा चक्र लगाती है जिसे दैनिक गति या घूर्णन गति कहते है।
  5. यह 365 दिन 5 घंटे 48 मिनट एवं 46 सेकंड में सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करती है जिसे सौर वर्ष कहते है।
  6. जल की उपस्थिति के कारण इसे नीला ग्रह भी कहा जाता है।
  7. आकार एवं बनावट की दृष्टि से पृथ्वी शुक्र के समान है।
  8. सूर्य के बाद पृथ्वी के सबसे निकट का तारा प्रकिस्मा सेंचुरी है।
  9. साइरस या डॉग स्टार पृथ्वी से 9 प्रकाशवर्ष दूर स्थित है एवं सूर्य से दोगुने द्रवमान का तारा है जो रात्रि के समय देखाई देने वाला सबसे चमकीला तारा है।

4) मंगल ग्रह (Mars) : 

  1. इसे लाल ग्रह के नाम से भी जाना जाता है। इसका रंग लाल आयरन ऑक्साइड के कारण है।
  2. यह अपनी धुरी पर 24 घंटे में एक पूरा चक्र पूरा करता है।
  3.  इस ग्रह पर पृथ्वी के समान ऋतु परिवर्तन होता है।
  4. इसके दो उपग्रह है – फोबोस एवं डीमोस
  5. सूर्य की परिक्रमा करने में यह 687 दिन का समय लेता है।
  6. सौरमंडल का सबसे बड़ा ज्वालामुखी ओलिंपस मेसी एवं पर्वत निक्स ओलम्पिया जो की माउंट एवरेस्ट से तीन गुणा अधिक ऊँचा है, इसी ग्रह पर स्थित है।

5) बृहस्पति ग्रह (Jupiter)

  1. यह सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है जो अपनी धुरी पर 10 घंटे में चक्कर लगता है।
  2. यह सूर्य की परिक्रमा 12 वर्ष में पूरी करता है।
  3. इसका उपग्रह ग्यानीमीड सभी उपग्रहों में सबसे बड़ा है जिसका रंग पीला है।

6) शनि ग्रह (Saturn)

  1. यह आकार में दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है।
  2. इसके तल के चारों ओर 7 वलय पाए जाते है जो की इस ग्रह की मुख्य विशेषता भी है।
  3. यह आकाश में पीले तारे के सामान दिखाई देता है।
  4. शनि का सबसे बड़ा उपग्रह टाइटन है। जो सौरमंडल का दूसरा सबसे बड़ा उपग्रह है।
  5. इसका घनत्व अन्य सभी ग्रहो एवं जल से भी कम है। यानि यह जल में रखने पर तैरने लगेगा।

7) अरुण ग्रह (Uranus) :

  1.  यह आकार में तीसरा सबसे बड़ा ग्रह है इसका तापमान – 215 C पाया जाता है।
  2. इस ग्रह की खोज 1781 ईस्वी में विलियम हर्शेल द्वारा की गई है।
  3. इसके चारों ओर नौ वलयों में से 5 वलयों का नाम अल्फ़ा, बीटा, गामा, डेल्टा एवं ईप्सिलान है।
  4.  यह शुक्र ग्रह की भांति दक्षिणावर्त चक्रण करता है।
  5. इसे लेटा हुआ ग्रह भी कहते है।
  6.  इसका सबसे बड़ा उपग्रह टाइटेनिया है।

8) वरुण ग्रह (Neptune)

  1. यह एक हरे रंग का ग्रह है। इसके चारों और अति शीतल मिथेन का बादल छाया रहता है।
  2. यही सूर्य से सबसे दूर स्थित है।
  3. इसकी खोज 1846 ईस्वी में जहान गाले ने की है।
  4. इसके उपग्रहों में ट्रिटॉन प्रमुख है।
Previous articleबिग बैंग सिद्धांत क्या है
Next articleबौने ग्रह एवं लघु सौरमंडलीय पिंड