बौने ग्रह एवं लघु सौरमंडलीय पिंड में आप जानेंगे कि बौने ग्रह क्या होते है। आखिर किस वजह से इनको परम्परागत ग्रहों से अलग किया गया। इसके साथ-साथ आपको लघु सौरमंडलीय पिंड, उल्काय और धूमकेतु के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी। तो चलिए सुरु करते है –
बौने ग्रह एवं लघु सौरमंडलीय पिंड :-
1. बौने ग्रह
जैसा की आप पहले सौरमंडल क्या है में पढ़ चुके है कि अगस्त 2006 ईस्वी में हुई IAU की प्राग सम्मेलन में ग्रहों की परिभाषा तय की गई। जिसके अनुसार वे खगोलीय पिंड जो निम्न तीन शर्तो को पूरा नहीं करता, उनको ग्रहों की श्रेणी से बाहर कर दिया गया और बौने ग्रहों की श्रेणी में रखा गया। वे तीन शर्ते निम्न है –
- सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करता हो
- पर्याप्त गुरुत्वाकर्षण बल हो जिसके कारण गोल स्वरुप धारण कर सके।
- आस-पास खगोलीय पिंडो की भीड़ भाड़ न हो।
यम, सेरस, चेरान एवं 2003 UB 313 सभी बौने ग्रह है।
- यम (Pluto)
IAU ने प्लूटो का नया नाम 134340 रखा है इस ग्रह की खोज क्लाड टामवो ने 1930 ईस्वी में की। अगस्त 2006 ईस्वी में IAU ने इसको ग्रहों की श्रेणी से बाहर निकाल कर इसको बौने ग्रहों की श्रेणी में रखा गया।
यम को ग्रहो की श्रेणी से बाहर निकाल देने के कारण –
यम को ग्रहो की श्रेणी से बाहर निकाल देने के कारण –
- आकार में चन्द्रमा से छोटा होना।
- इसकी कक्षा का वृताकार नहीं होना।
- वरुण की कक्षा को काटना।
- सेरस (Ceres)
इसकी खोज इटली के खगोलशास्त्री पियाजी ने की थी। IAU की नई परिभाषा के अनुसार इसको बौने ग्रहों की श्रेणी रखा गया IAU के अनुसार इसको संख्या 1 से जाना जायेगा। इसका व्यास बुध के व्यास का 1/5 भाग है।
लघु सौरमंडलीय पिंड
लघु सौरमंडलीय पिंडो के अध्ययन के लिए हमें क्षुद्र ग्रह, धूमकेतु और उल्का पिंडो के बारे में अध्ययन करना होगा क्योंकि लघु सौरमंडलीय पिंडो में ये सब पिंड अग्रणीय है। तो चलिए जानते है इन पिंडो के बारे में –
2. क्षुद्र ग्रह (Asteroids)
मंगल एवं बृहस्पति ग्रह की कक्षा के बीच कुछ छोटे छोटे आकाशीय पिंड जो सूर्य के चारों और चक्र लगा रहे है, उसे क्षुद्र ग्रह कहते है। खगोलशास्त्रीओ के अनुसार ग्रहों के विस्फोट के फलस्वरूप टूटे टुकड़ो से क्षुद्र ग्रह का निर्माण हुआ। क्षुद्र ग्रह जब पृथ्वी से टकराता है तो पृथ्वी के पृष्ठ पर विशाल गर्त (लोनार झील-महाराष्ट्र) बनता है।
- फोर वेस्टा एकमात्र क्षुद्र ग्रह है जिसे नगी आँखों से देखा जा सकता है।
3. धूमकेतु (Comet)
सौरमंडल के छोर पर बहुत से छोटे छोटे अरबों पिंड विद्यमान है जो की गैस एवं धूल का सग्रह है और आकाश में लंबी पूंछ सहित गोले के रूप में दिखाई देते है, धूमकेतु या पुच्छल तारे कहलाते है। धूमकेतु केवल तभी दिखाई देता है जब यह सूर्य की तरफ अग्रसर हो क्योंकि सूर्य की किरणे इसकी गैस को चमकीला बना देती है। धूमकेतु धूमकेतु की पूछ हमेशा सूर्य से दूर होती हुई दिखाई देती है। धूमकेतु हमेशा के लिए टिकाऊ नहीं होते है, फिर भी प्रत्येक धूमकेतु के लौटने का निश्चित समय होता है।
- हैले नामक धूमकेतु का परिक्रमण काल 76 वर्ष है यह अंतिम बार 1986 को दिखाई दिया था। अगली बार यह 2062 में दिखाई देगा।
4. उल्का (Meteors)
उल्काएँ प्रकाश की चमकीली धारी के रूप में दिखाई देते है। क्षुद्र ग्रह के टुकड़े तथा धूमकेतुओं द्वारा छोड़े गए धूल के कणो को उल्काएँ कहते है। ये आकाश में क्षण भर के लिए दिखाई देते है।